छवि गढ़ना मनुष्य की पहचान है।पर जब हम इस दिशा में जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाते है,तब समस्या होने लगती है।अपने बारे में विचार करने पर हम पाएंगे कि हमने दूसरों से वैसा ही संबंध बना रखा है,जैसा उनसे जुड़ी छवि हमारे भीतर है। यानि हम अक्सर अपने हिसाब से दूसरों की छवि बना लेते है।यहां तक कि हम अपने बारे में एक छवि गढ़ते है और उसी के अनुसार चलने की कोशिश करते है। वाल्ट डिजनी ने एक बार कहा,”छवि गढ़ना अगर रचनात्मक लोगों की पहचान है,तो विध्वंसक लोगों की भी, पर इन दोनों किस्म के लोगों से दुनिया नही चलती।दुनिया चलती है सरल लोगों से,जो छवि गढ़ने में कमजोर होते है। वे तो आपको वैसे ही स्वीकार करते है जैसा आप उनके सामने है।”
