रामचरित्र हर युग और हर समय प्रासंगिक है। प्रभु राम जब 14 वर्ष वनवास को जा रहे थे तब भैया भरत राम से मिलते हैं और कहते हैं कि मैं आपसे कुछ बांटने आया हूं। प्रभु राम कहते हैं कि भरत पिता की आज्ञा के अनुसार राज्य तुम्हारा है मुझ बनवासी से आखिर तुम्हें क्या बांटना। भैया भरत कहते हैं भ्राता, भाई से भाई संपति बांटता है मैं तो आपसे दुख बांटने आया हूं। आप मेरे हिस्से का राज्य ले लीजिए और 14 वर्ष का वनवास मुझे दे दीजिए। राम भरत को गले से नहीं हृदय से लगा लेते हैं। मेरे क्षेत्र में स्थित राम जानकी मंदिर ऐसे ही आदर्श प्रेरणा का पुंज बने मैं यही कामना प्रभु से करता हूं। प्रत्येक व्यक्ति राम और उनके चरित्र को अंगीकार करके सार्थक और सामर्थ्यवान बने यही कामना प्रभु राम से करता हूँ।
जय जय श्री राम l।
