Manoj-Kumar-Singh-Delhi-

वर्तमान आस्था पर कुछ दूरगामी मंतव्य।

निश्चय ही आपकी आस्था,पूजा, इबादत या गुरुवाणी का महत्व होगा।आप उसे करें। उसमें विश्वास रखे मगर आपकी पूजा या इबादत आपके मन में हो। किसी सार्वजनिक जगह पर जहां आपके आलावा दूसरे लोग भी हो,वहां इबादत या पूजा की आवाज हवा में क्यों गूंजे? हो सकता है,कोई किताब पढ़ रहा हो,कोई मोबाइल पर जरूरी बात कर रहा हो। कोई पेंटिंग बना रहा हो, कोई मन में कोई विचार बुन रहा हो?कोई मरीज जीवन से जूझ रहा हो। सार्वजनिक जगहों पर इबादत या पूजा के नाम पर शोर किया जाना,दूसरों को तकलीफ पहुंचाना है।आप वहां,अपने मन में पूजा,इबादत करे जिससे दूसरों को तकलीफ न हो। दूसरे प्रभावित न हो।

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